बस कागजों में सिमटकर रह गई नगर पलि़का फतेहपुर के 84 तालाबों की पहचान - प्रवीण पाण्डेय
फतेहपुर नगर पालिका परिषद के 84 तालाबों में अधिकांश का अस्तित्व खत्म हो चुका है। इक्का दुक्का बचे तालाब भी अतिक्रमण की गिरफ्त में समाते जा रहे हैं। तालाबों में बिल्डिंग खड़ी हो गई। तालाब को बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया।
तालाब पर भूमाफिया की नजर
कुछ भू्माफिया ने तो तालाबों की जमीन को ही अपनी बताकर औने-पौने दाम में बेच लिया। इन तालाबों के पाट दिए जाने के कारण बरसात के दौरान शहर को जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है।
बारिश का पानी तालाबों में जाता था, लेकिन अब बारिश का पानी सड़कों के साथ लोगों के घरों में घुस जाता था। पानी का जलस्तर बढ़ाने में भी तालाब सहायक होते थे, लेकिन इन तालाबों के पाट दिए जाने से पानी का जलस्तर बढ़ाने में भी मदद नहीं मिल पा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के तालाबों पर अवैध कब्जा हटाने के निर्देश केवल कागजी साबित हो रहे है l
नगर पालिका परिषद का 1962 में गठन किया गया था। इस दौरान शहर के आसपास के 49 गांव नगर पालिका क्षेत्र में शामिल किए गए थे। इस दौरान नगर पालिका क्षेत्र में 84 तालाब आए थे, जिनका क्षेत्रफल 872 बीघे था। इनमें आधा सैकड़ा तालाब आबादी के मध्य स्थित थे। वर्तमान समय में गंगानगर, खलीलनगर, आबूनगर, गढ़ीवा, हरिहरगंज, झाऊपुर, नाथपुरी कालोनी के तालाबों का या तो अस्तित्व खत्म हो चुका है या फिर खत्म होने वाला है। नगर पालिका के अभिलेखों में ज्यादातर तालाबों का भूमिधरी दर्ज कर यह खेल किया गया है। इतना ही नहीं विस्तार के समय 11 सौ बीघे सरकारी जमीन दर्ज थी, लेकिन मौके पर इन जमीनों पर इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। डेढ दशक पहले तक बक्सपुर में उप विद्युत केंद्र राधानगर के पीछे और सामने सड़क के पार करीब 32 बीघे जमीन थी, जिसमें वर्तमान समय में या तो लोग खेती कर रहे हैं या फिर पक्के भवन बन चुके हैं। नगर पालिका परिषद का ध्यान इन जमीनों की ओर नहीं है।
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